कौन कहता है वक़्त बुरा है ! कौन कहता है वक़्त बुरा है !
आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता । मेरी रौ आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता । ...
प्यार करना ये कबसे खता हो गयी। प्यार करना ये कबसे खता हो गयी।
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
सच कहता मैं लब हूँ, वो शब्द है, अगर मैं संगीत हूँ, वो सुर ताल है। सच कहता मैं लब हूँ, वो शब्द है, अगर मैं संगीत हूँ, वो सुर ताल है।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।